कोरोना का इलाज "गौमूत्र" और सूर्य किरण 'अवशोषित' जल


राहुल ठाकुर


मेरठ। प्रसिद्ध चेहरा ज्योतिष विशेषज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य डॉ.विभोर भारद्वाज के अनुसार,आजकल ब्रम्हांड और भचक्र में राहु और बुध के दृष्टि संयोजन के कारण 'कोरोना' वायरस फैल रहा है। मिथुन राशि तथा उस का स्वामी बुध दोनों मेडिकल एस्ट्रोलॉजी के हिसाब से हमारे शरीर में फेफड़े तथा सांस का प्रतिनिधित्व करते हैं। वार्षिक चक्र के अंतिम पड़ाव पर सूर्य 'कुंभ' राशि में कमजोर तथा 'मीन' राशि में मध्यम कमजोर होता है। और सूर्य की शक्ति वायुमंडल में कम हो जाती है।एवं विभिन्न प्रकार के वायरस मौसम के जोड़ पर उत्पन्न हो जाते हैं।कोरोना चीन से चमगादड़ तथा सांपों से फैला ऐसा कहा जाता है।वैदिक ज्योतिष में चमगादड़ का कारक राहु है जबकि सांप तो स्वयं ही राहु है।अगर किसी जीव के द्वारा वायरस फैला दिया जाए तो उन व्यक्तियों के ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है जो मांस खाते हैं। हिंदू धर्म में 'देसी' गाय के मूत्र में लगभग 87% ऐसे तत्व पाए जाते हैं।जो दुनिया में उत्पन्न होने वाले लगभग सभी प्रकार के वायरसों का खत्म कर देते हैं गौमूत्र शरीर में लीवर और फेफड़ों के लिए विशेष उपयोगी भी कहा गया है। सूर्य ग्रह 14 मार्च 2020 दोपहर को ही मीन राशि में आ गया परंतु बुध,कुंभ राशि में राहु के द्वारा पीड़ित है एवं मिथुन राशि में बैठा हुआ राहु मिथुन राशि को पीड़ित कर रहा है।अगर शरीर में 'सूर्य' को मजबूत कर लिया जाए तो राहु का खात्मा हो जाएगा जिससे कोरोना जैसे वायरस से बचा जा सकता है।अगर किसी व्यक्ति ने मांस खाया हो तो उस पर 'गौमूत्र' उतना प्रभावशाली नहीं रहेगा जितना उस पर जिसने कभी भी मांस ना खाया हो लेकिन फिर भी सूर्य किरण अवशोषित जल मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के लोग उपयोग कर सकते हैं। इसी के साथ साथ सूर्य की धूप में खड़े होकर कम से कम 21 बार ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें तो निश्चित रूप से शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। डॉ. विभोर भारद्वाज ने बताया जब तक सूर्य मीन राशि के 12 डिग्री पार नहीं करता तब तक इस वायरस का प्रकोप निश्चित रूप से रहेगा,अतः 25 मार्च 2020 तक तो प्रकोप रहेगा लेकिन जैसे ही चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा आरंभ होगी अर्थात 'हिंदू नववर्ष' का आरंभ होगा कोरोना प्रभावहीन होने लगेगा।